अगर आप एक आदमी को शिक्षित करते है तो आप एक अकेले व्यक्ति को शिक्षित कर रहे है ; परंतु अगर आप एक महिला को शिक्षा प्रदान कर रहे है तोह आप एक पूरी पीढ़ी को सशक्त बना रहे है।
नारी सशक्त है यानी भारत माता सशक्त है ।
दुर्गा, सरस्वती, पारवती, लक्ष्मी; हाँ दोस्तों ये वही देवियो के नाम हैं जिन्हें हम अक्सर पूजते है । परंतु दोस्तों आय दिन हम उन्हें हर प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक दंड पहुंच रहे है । हमने सिर्फ उन्हें भगवन का दर्ज दिया है, वास्तव में तो हम उनके प्रति सम्मान, सद्भावना एवं प्रेम की भावना रखते ही नहीं ।
आजकल अखबार महिलाओ के खिलाफ हिंसा से सम्बंधित कम से कम एक समाचार के बिना अधूरा सा लगता है । शहरो में तो रात के 9 बजने के बाद बहार निकलना खतरों से खेलने के समान है । सच कहे तोह भारत स्त्रियों के खिलाफ हिंसा का मुख्य केंद्र बन चूका है । ऐसे शर्मनाक एवं निराशाजनक हालात में हम कैसे कह सकते है कि भारत में स्त्री सशक्तिकरण हो रहा है ?
एक अंतराष्ट्रीय सर्वे के अनुसार भारत स्त्री सशक्तिकरण के सन्दर्भ में 115 स्थान पर आती है । क्या यह बात आप सबको गौरव एवं अभिमान से आनंदित करती है ?
कुछ हद तक दण्डात्मक क़ानून महिलाओ को सशक्त एवं सुरक्षित बना सकती है , और मैं यह भी मानता हु कि भारत सर्कार ने ऐसे कई नियम बनाये भी है। मगर मित्रों कानून बनाना कोई बड़ी बात नहीं। कानून तोह मैं भी बना दू । कानून को लागू करना भी अनिवार्य होता है । उन्हें लोगो तक पहुंचाए, कार्यान्वित कीजिये , तभी हमारे इस खूबसूरत देश में स्त्री सशक्तिकरण वास्तव में हो सकता है।
ये समस्या भाजपा या कांग्रेस कि वजह से नहीं बल्कि हम आम जनता की वजह से ही हो रहा है । हम ही है जो महिलाओ को उनकी क्षमता पहचानने एवं निखारने हेतु समुचित अवसर नहीं देते । परिणाम स्वरूप वे समाज में पिछड़े, असशक्त एवं अबल रह जाते है ।
दोस्तों गौर करने वाली बात है , हमारे देश में एक बलात्कार के बाद बड़ी हलचल मच जाती है; लोग campaign करने लगते है , रैली चलाते है और तो और मीडिया तोह उसे एक उत्सव ही बना लेती है । लेकिन गौर करने वाली बात तो एक और है , मित्रो हम सबकी याद्दाश बड़ी कमज़ोर है । कुछ समय बाद हम सब कुछ भूल जाते है और अंततः हमारे देश की नारी वापिस घर के चार दीवारों के भीतर सीमित रह जाती है ।
तो क्या कम से कम घर में वे सशक्त है? सुरक्षित है? .... कई बार वहां भी उन्हें अपने पति एवं सांस से अनगिनत अत्याचारो का सामना करना पड़ता है ।
स्त्री सशक्तिकरण अथवा WOMEN EMPOWERMENT अब सिर्फ ऐसे वाद विवाद प्रतियोगिताएं और नेताओ के भाषण के विषय बनकर रह गयी है ।
जब मीडिया वालो ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी से यु पी में महिलाओ के खिलाफ बढ़ती हुई खतरे पर प्रश्न उठाये तोह उनका जवाब आश्चर्यजनक था । उन्होंने उस मीडिया वाली से पुछा, " आपको तो खतरा नहीं हुआ , आपके लिए अभी वही काफी है " और उनके पिता जी श्री मुलायम सिंह यादव जी , उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री , उनकी टिप्पणी "रेप के लिए फँसी पर चढ़ा दिया जाएगा ? लड़के तो लड़के हैं . गलती हो जाती है " , यह तोह अतिविख्यात है । क्या हम हमारे इस महान देश में, जहाँ 59 करोड़ यानी देश के 48 % जनसँख्या महिला है, यहाँ ऐसे ही शासक चाहते हैं? क्या हम हमारी बेटियो के लिए इसी भारत की अपेक्षा करते है??? सोच बदलनी चाहिए !
"विनाश काले विपरीत बुद्धि " - भारत के इस निराशाजनक अवस्था को और क्या कहा जाए ?
कहते है की हर सफल आदमी के पीछे एक नारी का हाथ है, लेकिन अगर वह हाथ ही लड़खड़ा रही हो , समान अधिकारों के लिए तड़प रही हो और शाक्तिकरण के लिए आवाज़ उठाने में असक्षम हो तो कैसे वह आदमी सफल हो सकता है? कैसे एक देश उन्नति के मार्ग में अग्रसर हो सकता है? ज़रा सोचिये !
यह सब जानने के बावजूद भारत स्त्री सशक्तिकरण की सख्त अनिवार्यता को अनदेखा कर रही है । आय दिन भारत में स्त्रीयो को खिलाफ acid attack , बलात्कार , छेड़ - छाड़ आदि क्रूरताओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है । ज़्यादा कहने की क्या ज़रुरत ? लड़कियों को तो कई बार इस खुली विशाल दुनिया की एक झलक तक नहीं देखने दिया जाता , उन्हें उससे पहले ही, माँ के कोख में ही, अपना प्राण गँवा देना पड़ता है । क्या इसे ही हम स्त्री सुरक्षा कहते है? क्या यही नारी सशक्तिकरण है ? अगर हाँ तोह मित्रो शब्दकोष में सशक्तिकरण का मतलब बदलने का वक़्त आ चूका है ॥
हम विद्यार्थी रोज़ अपना दिन एक प्रतिज्ञा के साथ शुरू करते है । उस प्रतिज्ञा में साफ़ बताया गया है कि सारे भारतवासी हमारे भाई बहन है । मुझे नहीं लगता कि हममें से कोई भी अपनी ही बहन को किसी भी प्रकार की असुविधा पहुंचाएंगे , या कोई घिनौनी हरकत करेंगे ।मुझे पूरा विश्वास है कि हम , भारत के युवा पीढ़ी, भारत के भविष्य इस प्रतिज्ञा के सही अर्थ को पहचानेंगे और उसका पालन करेंगे ।
भारत माता की जय ;
जय हिन्द जय भारत !
नारी सशक्त है यानी भारत माता सशक्त है ।
दुर्गा, सरस्वती, पारवती, लक्ष्मी; हाँ दोस्तों ये वही देवियो के नाम हैं जिन्हें हम अक्सर पूजते है । परंतु दोस्तों आय दिन हम उन्हें हर प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक दंड पहुंच रहे है । हमने सिर्फ उन्हें भगवन का दर्ज दिया है, वास्तव में तो हम उनके प्रति सम्मान, सद्भावना एवं प्रेम की भावना रखते ही नहीं ।
आजकल अखबार महिलाओ के खिलाफ हिंसा से सम्बंधित कम से कम एक समाचार के बिना अधूरा सा लगता है । शहरो में तो रात के 9 बजने के बाद बहार निकलना खतरों से खेलने के समान है । सच कहे तोह भारत स्त्रियों के खिलाफ हिंसा का मुख्य केंद्र बन चूका है । ऐसे शर्मनाक एवं निराशाजनक हालात में हम कैसे कह सकते है कि भारत में स्त्री सशक्तिकरण हो रहा है ?
एक अंतराष्ट्रीय सर्वे के अनुसार भारत स्त्री सशक्तिकरण के सन्दर्भ में 115 स्थान पर आती है । क्या यह बात आप सबको गौरव एवं अभिमान से आनंदित करती है ?
कुछ हद तक दण्डात्मक क़ानून महिलाओ को सशक्त एवं सुरक्षित बना सकती है , और मैं यह भी मानता हु कि भारत सर्कार ने ऐसे कई नियम बनाये भी है। मगर मित्रों कानून बनाना कोई बड़ी बात नहीं। कानून तोह मैं भी बना दू । कानून को लागू करना भी अनिवार्य होता है । उन्हें लोगो तक पहुंचाए, कार्यान्वित कीजिये , तभी हमारे इस खूबसूरत देश में स्त्री सशक्तिकरण वास्तव में हो सकता है।
ये समस्या भाजपा या कांग्रेस कि वजह से नहीं बल्कि हम आम जनता की वजह से ही हो रहा है । हम ही है जो महिलाओ को उनकी क्षमता पहचानने एवं निखारने हेतु समुचित अवसर नहीं देते । परिणाम स्वरूप वे समाज में पिछड़े, असशक्त एवं अबल रह जाते है ।
दोस्तों गौर करने वाली बात है , हमारे देश में एक बलात्कार के बाद बड़ी हलचल मच जाती है; लोग campaign करने लगते है , रैली चलाते है और तो और मीडिया तोह उसे एक उत्सव ही बना लेती है । लेकिन गौर करने वाली बात तो एक और है , मित्रो हम सबकी याद्दाश बड़ी कमज़ोर है । कुछ समय बाद हम सब कुछ भूल जाते है और अंततः हमारे देश की नारी वापिस घर के चार दीवारों के भीतर सीमित रह जाती है ।
तो क्या कम से कम घर में वे सशक्त है? सुरक्षित है? .... कई बार वहां भी उन्हें अपने पति एवं सांस से अनगिनत अत्याचारो का सामना करना पड़ता है ।
स्त्री सशक्तिकरण अथवा WOMEN EMPOWERMENT अब सिर्फ ऐसे वाद विवाद प्रतियोगिताएं और नेताओ के भाषण के विषय बनकर रह गयी है ।
जब मीडिया वालो ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी से यु पी में महिलाओ के खिलाफ बढ़ती हुई खतरे पर प्रश्न उठाये तोह उनका जवाब आश्चर्यजनक था । उन्होंने उस मीडिया वाली से पुछा, " आपको तो खतरा नहीं हुआ , आपके लिए अभी वही काफी है " और उनके पिता जी श्री मुलायम सिंह यादव जी , उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री , उनकी टिप्पणी "रेप के लिए फँसी पर चढ़ा दिया जाएगा ? लड़के तो लड़के हैं . गलती हो जाती है " , यह तोह अतिविख्यात है । क्या हम हमारे इस महान देश में, जहाँ 59 करोड़ यानी देश के 48 % जनसँख्या महिला है, यहाँ ऐसे ही शासक चाहते हैं? क्या हम हमारी बेटियो के लिए इसी भारत की अपेक्षा करते है??? सोच बदलनी चाहिए !
"विनाश काले विपरीत बुद्धि " - भारत के इस निराशाजनक अवस्था को और क्या कहा जाए ?
कहते है की हर सफल आदमी के पीछे एक नारी का हाथ है, लेकिन अगर वह हाथ ही लड़खड़ा रही हो , समान अधिकारों के लिए तड़प रही हो और शाक्तिकरण के लिए आवाज़ उठाने में असक्षम हो तो कैसे वह आदमी सफल हो सकता है? कैसे एक देश उन्नति के मार्ग में अग्रसर हो सकता है? ज़रा सोचिये !
यह सब जानने के बावजूद भारत स्त्री सशक्तिकरण की सख्त अनिवार्यता को अनदेखा कर रही है । आय दिन भारत में स्त्रीयो को खिलाफ acid attack , बलात्कार , छेड़ - छाड़ आदि क्रूरताओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है । ज़्यादा कहने की क्या ज़रुरत ? लड़कियों को तो कई बार इस खुली विशाल दुनिया की एक झलक तक नहीं देखने दिया जाता , उन्हें उससे पहले ही, माँ के कोख में ही, अपना प्राण गँवा देना पड़ता है । क्या इसे ही हम स्त्री सुरक्षा कहते है? क्या यही नारी सशक्तिकरण है ? अगर हाँ तोह मित्रो शब्दकोष में सशक्तिकरण का मतलब बदलने का वक़्त आ चूका है ॥
हम विद्यार्थी रोज़ अपना दिन एक प्रतिज्ञा के साथ शुरू करते है । उस प्रतिज्ञा में साफ़ बताया गया है कि सारे भारतवासी हमारे भाई बहन है । मुझे नहीं लगता कि हममें से कोई भी अपनी ही बहन को किसी भी प्रकार की असुविधा पहुंचाएंगे , या कोई घिनौनी हरकत करेंगे ।मुझे पूरा विश्वास है कि हम , भारत के युवा पीढ़ी, भारत के भविष्य इस प्रतिज्ञा के सही अर्थ को पहचानेंगे और उसका पालन करेंगे ।
भारत माता की जय ;
जय हिन्द जय भारत !
Tqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqqq soooooooo much
ReplyDeleteThank u
ReplyDeleteThanks so much.....
ReplyDeleteYeh against Mai hai yah faviur Mai
ReplyDeletePata nhi??
DeleteTu to hai pagal
DeleteAGAINST
DeleteIt is in favou or agInst
ReplyDeletefor the motion he
Deletethanks bhai
ReplyDeleteThankyou bhai thankkkkkx
ReplyDeleteThanks for the
ReplyDeleteThis
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ReplyDeleteIts a gud thought buddy it really help me 😊😊😊thnq
Awesome
ReplyDeleteAwesome
ReplyDeleteReally awesome I 😍
ReplyDeleteThanks a lot
ReplyDeletewhat about for ?
ReplyDeleteThanks a lot 😀😀
ReplyDeleteLagta hai yogi ji ke bade fan ho
ReplyDeleteVery helpful thks
ReplyDeletePlease anyone tell me this debate is for favour or against
ReplyDeleteVery true and it is reality of today....it really helped me in my debate....thanks☺️
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