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छात्र राजनीती (Student politics)

घटिया लोगो द्वारा चलाई जाने वाली हुकुम्मत में रहना आपके राजनीति में हिस्सा न लेने का सबसे बड़ा दण्ड है।
          दुनिया के सबसे मशहूर राजनैतिज्ञ और तत्वज्ञानी Plato ने यह चेतावनी मानवसमूह को दिया था ।

 

   विद्यार्थी जीवन में राजनीति का योगदान और उसके महत्व पर चर्चा करने का यह अतिउचित समय है ।आज  भारत के चारो तरफ विद्यार्थीगण अनेक प्रकार के विचारधाराओ से प्रभावित है , और यह कोई नया प्रतिभास नहीं है ।
  इस देश की मिटटी को साम्राज्यवादी शक्तियों से आज़ाद कराने से लेकर आज 7  दशको के बाद देश को राजनैतिक नैतृत्व प्रदान करने तक छात्र राजनीती का महत्त्व अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है ।
  मनुष्य एक सामूहिक जानवर है और आज भारत के प्रजातान्त्रिक समूह में राजनीती दैनिक जीवन का अटूट हिस्सा बन चूका है । आज के विद्यार्थी कल के नागरिक है , कल वे मतदाता बनेंगे और इन्ही में से कुछ आगे चलकर देश को चलने हेतु राजनीती में आएँगे भी । अतः भारत के प्रजातान्त्रिक व्यवस्था को सम्मानजनक बनाये रखने के लिए अनिवार्य है कि पढ़े लिखे, समर्थ एवं अनुभवी लोग राजनीती में हिस्सा ले ।
  अगर आज आप उनके सामने राजनीती के द्वार बंद कर रहे है तो समझ लीजिये कि आप हमारे देश के भविष्य को हमेशा हमेशा के लिए नैतृत्वहीन अन्धकार में ढकेले जा रहे है ।
   युवा पीढ़ी में जो ऊर्जा है उसे सही राह दिखाना ज़रूरी है । यह सही है कि राजनीती में हिस्सा लेने से कुछ विद्यार्थी अपनी राह भटक जाते है । कुछ स्वार्थी नेताओ के चपेट में आकर बेक़सूर छात्र दुश्मनी पाल लेते है और हिंसक हरकते करके वे अपने परिवार व् अपने देश का नाम डुबाते है ।
   मगर दोस्तों क्या एक बार दाल में कुछ काला पाने से आप दाल खाना ही छोड़ देंगे ? कुछ इसी तरह राजनीती को भी छात्रों के बीच 'स्वछ' करने की ज़रुरत है ।मित्रो मेरा यह मानना है कि जिस स्वछ भारत की कल्पना आज हम कर रहे है उसे सामूहिक तौर पर हासिल करने के लिए ' स्वछ राजनीती ' की ज़रुरत है ।
   कुछ अनचाही घटनाओ के कारण पूरे छात्र राजनीती को कीचड के समान बताना कत्तई उचित नहीं  । और अगर  युवा पीढ़ी उस कीचड में उतरेगा नहीं तो  उसे साफ़ कौन करेगा?  और वैसे भी यह याद रहे कि अति खूबसूरत कमल का  भी जनम कीचड में ही होता है।
     भारत को विचलित कर देने वाले अनेक विषयो में छात्र संघो ने अपने महत्वपूर्ण पक्ष रखा है । चाहे दलित पीड़ितों के हक़ की बात हो , स्त्री सरकश की बात हो , या महँगाई व् अन्य आर्थिक विषयो की । छात्र राजनीती के प्रभाव से देश में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन आये है । छात्र राजनीती के माध्यम से देश में कई नए सोच का प्रसार हुआ है ।
   अतः विद्यार्थीगणो को उनकी आज़ादी दे । उन्हें अपनी विचारधारा विकसित करने का अवसर दे । उन्हें राष्ट्रवादी , राष्ट्रविरोधी , सांप्रदायिक या सेक्युलर कह कर उनका बटवारा करके उन्हें अपने स्वार्थ के लिए उपयोग करने वाले नीची सोच के नेताओ और अन्य तत्वो से दूर रखने का प्रयास किया जाये  ।
अनिवार्य यह है कि हम  अपने देश में अनेक विचारधाराओ को पढ़ने समझने और देश के हित में काम करने के लिए प्रेरित छात्र समूह को बढ़ावा दे । छात्र समूह में स्वछ, प्रगतिशील, अहिंसक राजनीती को प्रोत्साहित करे।
   लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने कहा था
                   " युवा इस देश की समस्या नहीं है । युवा इस देश की समस्याओ का समाधान है ।"
   राजनीती को राजनीती से दूर रखकर हम अपने नागरिको को सामूहिक तौर पर गैर ज़िम्मेदार शिक्षित मूर्खो की पलटन में बदल रहे है ।
   आशा है यह चेतावनी आपके कानो में सदा गूंजेगी ।
   मैं अपने शब्दो को यही विराम देता हूँ।
                                                    जयहिंद !

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